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फसल में कीटनाशक कितना दुश्मन

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नई दिल्लीः

कितना खतरनाक है फसल में कीटनाशक का छिडकाव
नई दिल्लीः फसल में कीटनाशक छिड़काव से होने वाले रोग, खतरे और असर की समय-सीमा

खेती में कीटनाशकों (pesticides) का उपयोग फसलों को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए किया जाता है, लेकिन यदि इनका गलत या अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाए तो यह इंसानों, पशुओं और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। यह न केवल किसानों और कृषि श्रमिकों की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि इनका अतिरेक फसल की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है।

कीटनाशकों के संपर्क से होने वाले रोग

कीटनाशकों के संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर विभिन्न प्रकार के प्रभाव पड़ सकते हैं। इन्हें मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

1. तात्कालिक (Acute) प्रभाव

कीटनाशक का छिड़काव करने के तुरंत बाद या कुछ घंटों में लक्षण दिखने लगते हैं। यह आमतौर पर तब होता है जब व्यक्ति बिना सुरक्षा उपकरण (जैसे मास्क, दस्ताने) के छिड़काव करता है या हवा में कीटनाशक कण सांस के साथ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
लक्षण:

सिरदर्द, चक्कर आना

मतली और उल्टी

त्वचा में जलन और लालिमा

आंखों में जलन और धुंधलापन

सांस लेने में कठिनाई

2. दीर्घकालिक (Chronic) प्रभाव

यह तब होता है जब व्यक्ति लंबे समय तक कीटनाशकों के संपर्क में रहता है। यह धीरे-धीरे शरीर में विषैले तत्वों के जमा होने से कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
बीमारियाँ:

कैंसर: कुछ कीटनाशक रसायन, जैसे ऑर्गेनोफॉस्फेट और कार्बामेट, लंबे समय तक संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं।

तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव: याददाश्त कमजोर होना, झटके आना, सुस्ती और अवसाद जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

प्रजनन संबंधी समस्याएं: हार्मोनल असंतुलन, महिलाओं में गर्भपात और पुरुषों में शुक्राणु की संख्या कम होना।

यकृत और गुर्दे को नुकसान: लगातार संपर्क में रहने से लीवर और किडनी पर असर पड़ सकता है।

3. पर्यावरणीय और अन्य स्वास्थ्य प्रभाव

जल और मृदा प्रदूषण: कीटनाशक मिट्टी और पानी में घुलकर पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं।

मधुमक्खियों और पक्षियों पर प्रभाव: कई कीटनाशक मधुमक्खियों, तितलियों और अन्य परागण करने वाले जीवों के लिए घातक होते हैं।

पशुओं में विषाक्तता: यदि पशु दूषित चारा या पानी ग्रहण करते हैं, तो उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

 

कीटनाशकों का असर कितने दिन में दिखता है?

1. तात्कालिक प्रभाव (Acute Effects): कुछ घंटों से लेकर 1-2 दिनों के भीतर लक्षण प्रकट हो सकते हैं।

2. दीर्घकालिक प्रभाव (Chronic Effects): महीनों या वर्षों बाद लक्षण विकसित हो सकते हैं, खासकर कैंसर या तंत्रिका तंत्र की बीमारियाँ।

3. पर्यावरण पर प्रभाव: जल और मिट्टी में प्रदूषण का असर कई सालों तक रह सकता है।

 

खतरनाक कीटनाशकों के प्रकार

1. ऑर्गेनोफॉस्फेट (Organophosphate) कीटनाशक

उदाहरण: क्लोरोपायरीफॉस, डाइमिथोएट

खतरा: तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव डालते हैं, जिससे कमजोरी, बेहोशी और मौत तक हो सकती है।

2. कार्बामेट (Carbamate) कीटनाशक

उदाहरण: कार्बोफ्यूरान, एल्डिकार्ब

खतरा: यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और दीर्घकालिक विषाक्तता का कारण बन सकता है।

3. ऑर्गेनोक्लोरीन (Organochlorine) कीटनाशक

उदाहरण: डीडीटी, एन्डोसुल्फान

खतरा: यह शरीर में जमा होकर कैंसर और प्रजनन समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।

 

सुरक्षा उपाय और बचाव

1. छिड़काव के दौरान सावधानियाँ

हमेशा दस्ताने, मास्क, चश्मा और सुरक्षात्मक कपड़े पहनें।

कीटनाशक छिड़काव के समय हवा की दिशा का ध्यान रखें, ताकि वह आपके शरीर पर न गिरे।

छिड़काव के तुरंत बाद नहाएं और कपड़े बदलें।

2. विषाक्तता के लक्षण दिखने पर क्या करें?

तुरंत साफ हवा में जाएं।

प्रभावित त्वचा को साबुन और पानी से धोएं।

आंखों में जलन होने पर ठंडे पानी से धोएं।

गंभीर हालत में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

3. जैविक और प्राकृतिक विकल्प अपनाएं

नीम तेल, ट्राइकोडर्मा, जैविक कीटनाशक और अन्य पारंपरिक तरीकों का उपयोग करें।

फसलों के बीच सहफसली (Intercropping) और जैव-विविधता को बढ़ावा दें।

 

निष्कर्ष

कीटनाशकों का उपयोग अगर सही मात्रा और सावधानी के साथ किया जाए तो यह फसलों के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं। लेकिन इनका गलत या अत्यधिक उपयोग मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और कृषि उत्पादन पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। किसानों को चाहिए कि वे कीटनाशकों के विकल्पों पर विचार करें, जैविक खेती की ओर बढ़ें और आवश्यक सुरक्षा उपाय अपनाएं ताकि वे खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकें।

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Author: speedpostnews

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