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आमरण अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
चुनावी रणनीतिकार से जनसुराज के सूत्रधार बने प्रशांत किशोर की चर्चा एक बार फिर से पूरे देश में हो रही है। चर्चा का कारण उनका गिरफ्तार होना है। पटना पुलिस ने सोमवार सुबह प्रतिबंधित क्षेत्र में धरना प्रदर्शन करने के आरोप प्रशांत किशोर को गिरफ्तार किया। प्रशांत किशोर पिछले कुछ दिनों से नीतीश सरकार और बिहार लोक सेवा आयोग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। दो जनवरी को वह गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे थे। पांच जनवरी को उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। इसके बाद रविवार अहले सुबह करीब चार बजे पटना पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया तो सियासी गलियारे में हड़कंप मच गया। प्रशांत किशोर के समर्थक और जनसुराज पार्टी का आरोप है कि नीतीश सरकार ने आंदोलन से डर गई इसलिए ऐसा किया। पीके शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे। इससे विधि व्यवस्था भी प्रभावित नहीं हुई थी। लेकिन, अचानक उन्हें गिरफ्तार किया गया। छह घंटे तक पटना जिले में घुमाया गया। इसके बाद उन्हें जेल भेजने के लिए कोर्ट में पेश किया जा रहा है। इन सब घटनाओं के बाद लोग प्रशांत किशोर के बारे में सुर्खियों में आ गये हैं। आइये जानते हैं प्रशांत किशोर के बारे में…
प्रशांत किशोर ने राजनीति में ब्रांडिंग का दौर लाया
34 साल की उम्र में संयुक्त राष्ट्र की नौकरी छोड़कर भारत आये बक्सर निवासी प्रशांत किशोर जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े तब उन्हें आम जनता नहीं जानती थी। प्रशांत किशोर ने राजनीति में ब्रांडिंग का दौर लाया। जब नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताया तब प्रशांत किशोर अपने काम में जुट गये। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले ही प्रचार का दौर शुरू हुआ। ऐसा प्रचार शायद ही कभी नहीं देखा गया था। साल 2014 में प्रशांत किशोर ने सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (कैग) की स्थापना की थी। इसे भारत की पहली राजनीतिक एक्शन कमिटी माना जाता है। यह एक एनजीओ है जिसमें आईआईटी और आईआईएम में पढ़ने वाले युवा प्रोफेशनल्स शामिल थे। पीके को नरेंद्र मोदी की उन्नत मार्केटिंग और विज्ञापन अभियान जैसे कि चाय पर चर्चा, 3डी रैली, रन फॉर यूनिटी, मंथन का श्रेय दिया जाता है। 2014 में जब भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तब पहली बार प्रशांत किशोर सुर्खियों में आये। लोग कहने लगे पीएम मोदी की शानदार जीत में प्रशांत किशोर का अहम योगदान रहा। हालांकि कुछ दिन बाद ही प्रशांत किशोर और भाजपा के बीच की दूरी बढ़ने लगे।
