मुंबई : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्व अध्यक्ष माधबी बुच की रिटायरमेंट के बाद मुसीबत बढ़ गई है। मुंबई की एक विशेष अदालत ने कथित धोखाधड़ी की शिकायत पर बुच के खिलाफ केस दर्ज करने को कहा है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि नियमों में चूक और मिलीभगत के प्रमाण हैं। इसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। अदालत ने 30 दिन के भीतर मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। इस बीच सेबी ने कहा है कि वह इस आदेश को चुनौती देगा। वह सभी मामलों में नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अदालत ने अन्य जिन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है, उनमें बीएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुंदररामन राममूर्ति, तत्कालीन चेयरमैन और जनहित निदेशक प्रमोद अग्रवाल और सेबी के तीन पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय शामिल हैं।
शिकायतकर्ता ने कथित अपराधों की जांच की मांग की थी, जिसमें वित्तीय धोखाधड़ी, विनियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार शामिल हैं।शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि सेबी के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्य में विफल रहे, बाजार में हेरफेर को बढ़ावा दिया। निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी को सूचीबद्ध करने की अनुमति देकर कारपोरेट धोखाधड़ी के लिए रास्ता खोला। बुच ने पिछले सप्ताह ही तीन साल का कार्यकाल पूरा किया।
