नई दिल्लीः
महात्मा बुद्ध ने अपने जीवन और शिक्षाओं के माध्यम से चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग का संदेश दिया, जो दुःख से मुक्ति पाने और आत्मज्ञान की ओर बढ़ने का मार्ग दिखाते हैं। उनका मुख्य संदेश अहिंसा, करुणा, ध्यान और आत्म-जागृति पर केंद्रित था।
महात्मा बुद्ध का मुख्य संदेश
- चार आर्य सत्य (Four Noble Truths)
- संसार में दुःख (दु:ख) है।
- इस दुःख का कारण तृष्णा (इच्छा) है।
- तृष्णा के निरोध से दुःख का अंत संभव है।
- दुःख-निरोध के लिए अष्टांगिक मार्ग का पालन करना चाहिए।
- अष्टांगिक मार्ग (Eightfold Path)
- सम्यक दृष्टि (Right View) – यथार्थ को सही तरीके से समझना।
- सम्यक संकल्प (Right Intention) – सही उद्देश्य और नीयत रखना।
- सम्यक वाणी (Right Speech) – सच बोलना, किसी को ठेस न पहुँचाना।
- सम्यक कर्म (Right Action) – नैतिकता से जीवन जीना।
- सम्यक आजीविका (Right Livelihood) – सही और नैतिक तरीके से जीवनयापन करना।
- सम्यक प्रयास (Right Effort) – सकारात्मक विचारों को बढ़ावा देना।
- सम्यक स्मृति (Right Mindfulness) – अपने विचारों और कार्यों के प्रति जागरूक रहना।
- सम्यक समाधि (Right Concentration) – ध्यान के माध्यम से मन को केंद्रित करना।
त्रिपिटक में क्या लिखा है?
त्रिपिटक बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रंथ हैं, जो पालि भाषा में लिखे गए हैं और बुद्ध की शिक्षाओं का संकलन हैं। इसमें तीन भाग हैं:
- विनय पिटक (Vinaya Pitaka) – बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों के आचार-विचार और नियमों का संकलन।
- सुत्त पिटक (Sutta Pitaka) – भगवान बुद्ध के उपदेशों और संवादों का संकलन, जिसमें धम्मपद जैसे ग्रंथ शामिल हैं।
- अभिधम्म पिटक (Abhidhamma Pitaka) – बौद्ध धर्म के दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक विचारों का गहन अध्ययन।
त्रिपिटक में बुद्ध के जीवन, ध्यान की विधियों, करुणा, अहिंसा, निर्वाण, और जीवन के उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताया गया है। यह ग्रंथ बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए मार्गदर्शन का स्रोत है।

Author: speedpostnews
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