- नई दिल्लीः धनराज पिल्एलै
क प्रसिद्ध भारतीय हॉकी खिलाड़ी हैं, जिनका योगदान भारतीय हॉकी के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें भारतीय हॉकी का “गोल्डन बॉय” भी कहा जाता है। उनका जन्म 16 जुलाई 1975 को महाराष्ट्र के पुणे जिले के शिंदे वाड़ी नामक स्थान पर हुआ था। धनराज पिल्लै ने भारतीय हॉकी में कई महत्वपूर्ण क्षणों को अपनी बेहतरीन खेलकला से संजोया है, और वे भारतीय हॉकी के सबसे महान और सम्मानित खिलाड़ियों में से एक माने जाते हैं।
धनराज पिल्लै का हॉकी करियर लगभग दो दशकों तक चला, जिसमें उन्होंने भारत को कई प्रमुख प्रतियोगिताओं में सफलता दिलाई। उन्होंने अपनी शुरुआत 1995 में भारतीय राष्ट्रीय टीम से की थी और इसके बाद वे भारतीय हॉकी टीम के एक अहम सदस्य बने। पिल्लै ने भारत को 1998 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक दिलाया था। इसके अलावा, वे 2002 एशियाई खेलों में भी स्वर्ण पदक विजेता रहे। 1998 के एशियाई खेलों में उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया था, और वे व्यक्तिगत रूप से भी अपनी कला के कारण मशहूर हुए थे।
धनराज पिल्लै की खेलने की शैली बहुत आक्रामक और तेज थी। उनका ड्रिबलिंग और गेंद को नियंत्रित करने का तरीका बहुत प्रभावशाली था। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जैसे कि ओलंपिक खेल, विश्व कप, और हॉकी चैंपियन्स ट्रॉफी। पिल्लै की तेज गति और रणनीतिक सोच ने उन्हें एक अद्वितीय खिलाड़ी बना दिया था।
धनराज पिल्लै को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें भारत सरकार द्वारा दिया गया अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री पुरस्कार शामिल हैं। पिल्लै का योगदान केवल खेल तक सीमित नहीं था, वे भारतीय हॉकी को पुनर्जीवित करने के प्रतीक बने। उनका नाम आज भी भारतीय हॉकी के महान खिलाड़ियों में गिना जाता है।
आज भी उनका प्रभाव भारतीय हॉकी पर महसूस किया जाता है, और वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। उनकी मेहनत, समर्पण और उत्कृष्टता ने भारतीय हॉकी को एक नया दिशा दी और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
