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जानिए गीदड़ रोए, तो क्या होता है अपशकुन

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नई दिल्ली:कृति और जीवन के विभिन्न संकेतों को हमारे पूर्वजों ने अपनी मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार समझा। गीदड़ के रोने को भी भारतीय संस्कृति में एक विशेष अपशकुन माना जाता है। गीदड़ का रटना आमतौर पर नकारात्मक संकेत के रूप में देखा जाता है, और इसे दुर्भाग्य या किसी बुरे घटना के आने का पूर्व संकेत माना जाता है। इस परंपरा का आधार लोककथाओं और सांस्कृतिक धारा से जुड़ा हुआ है, जहाँ जानवरों के व्यवहार को भविष्यवाणी के रूप में लिया जाता है।

गीदड़ का रटना विशेष रूप से रात के समय में अधिक सुना जाता है, और इसे किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की आहट के रूप में देखा जाता है। लोग मानते हैं कि गीदड़ का रटना तब होता है जब किसी व्यक्ति या परिवार के लिए कठिनाई आ सकती है, जैसे किसी प्रियजन की मृत्यु, बीमारी या किसी अन्य बुरे समय का आगमन। यह भी माना जाता है कि गीदड़ के रटने का संबंध अंधविश्वास और डर से जुड़ा होता है, जिससे लोग अपने आसपास की स्थिति के बारे में भयभीत हो जाते हैं।

हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो गीदड़ का रटना प्राकृतिक प्रक्रिया का हिस्सा है। यह उनका साधारण संचार माध्यम है, जिसे वे अपने क्षेत्र में घेरने या खतरे का सामना करने के दौरान करते हैं। गीदड़ अपने पैटर्न को दूसरों के साथ साझा करते हैं और अक्सर अपने समूह के साथ संपर्क साधते हैं, ताकि वे खतरे से बच सकें।

अंततः, गीदड़ के रटने को अपशकुन मानना सांस्कृतिक विश्वास और लोकधारणा का हिस्सा है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर बार इसका कोई नकारात्मक परिणाम हो।

 

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Author: speedpostnews

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