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मुख्यमंत्री सुक्खू ने नशा कारोबारियों का नेटवर्क ध्वस्त करने के लिए दी छह माह की डेडलाइन

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शिमला : मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पुलिस विभाग को राज्य में नशे के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए आगामी छः माह में मिशन मोड में व्यापक अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। पुलिस व अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए तथा कहा कि नशे के कारोबार में संलिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। नशा तस्करों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए सुक्खू ने इस तरह की अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि जिन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ नशा तस्करी के पुख्ता सबूत पाए गए हैं, उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए पीआईटी-एनडीपीएस (स्वापक औषधियों और मनः प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार की रोकथाम) अधिनियम को अक्षरशः लागू करने पर बल दिया।अधिकारियों से पूछा कि पीआईटी-एनडीपीएस मामलों के निष्पादन में देरी क्यों हो रही है तथा उन्हें एक सप्ताह के भीतर सभी मामलों की समीक्षा कर उनका निपटारा सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने नशे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। उन्होंने कहा कि नशा तस्करों और उनके सहयोगियों की संपत्तियां जब्त की जानी चाहिए। उन्होंने पुलिस विभाग को संदिग्धों के बैंक खातों की जांच करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स को और सुदृढ़ किया जाएगा तथा नशा तस्करी व नशाखोरी की समस्या से निपटने के लिए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में एक विशेष टास्क फोर्स भी अधिसूचित की जाएगी। युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने तथा राज्य से नशाखोरी को समाप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह स्वयं नियमित रूप से नशा विरोधी अभियान की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करेंगे। उन्होंने पुलिस विभाग को पंचायत स्तर तक नशा तस्करों तथा पीड़ितों की मैपिंग करने तथा 15 मार्च, 2025 तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस खतरे से निपटने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों तथा नंबरदारों को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को नशा तस्करी में मामले दर्ज करने में आनाकानी करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को सभी एनडीपीएस मामलों का निष्कर्ष जानने तथा पूरे नशा नेटवर्क को जड़ से उखाड़ने के लिए मामलों की फॉरवर्ड तथा बैकवर्ड लिंकेज करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार एनडीपीएस मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय स्थापित करने तथा पैरोल के प्रावधानों को सख्त बनाने के लिए दृढ़ता से प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विधानसभा के आगामी बजट सत्र में हिमाचल प्रदेश एंटी ड्रग एक्ट प्रस्तुत करेगी, जिसमें पीड़ितों तथा नशा तस्करों के बीच स्पष्ट अंतर होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सिरमौर जिला के कोटला बेहड़ में पीड़ितों के लिए अत्याधुनिक पुनर्वास केंद्र भी स्थापित कर रही है।
सुक्खू ने फार्मा कंपनियों पर निगरानी बढ़ाने के भी निर्देश दिए तथा कहा कि जो कंपनियां साइकोट्रोपिक दवाओं की अवैध बिक्री में संलिप्त पाई जाएंगी, उनके लाइसेंस रद्द किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ऐसी कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी तथा उनके लाइसेंस के नवीनीकरण की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ व्यापक जागरूकता अभियान शुरू करने पर भी बल दिया, ताकि लोगों को नशीली दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जा सके।
मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत तथा ओंकार चंद शर्मा, पुलिस महानिदेशक डॉ. अतुल वर्मा, महानिदेशक (सीआईडी) एस.आर. ओझा, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, सचिव आशीष सिंघमार व राजेश शर्मा, राज्य कर एवं आबकारी आयुक्त डॉ. यूनुस तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित रहे।

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Author: speedpostnews

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