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बिच्छू का जहर 80 करोड़ रुपये में एक लीटर मिलता है; दुनिया का सबसे महंगा तरल पदार्थ, बिच्छू को बिजली का झटका देकर निकालते हैं जहर

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बिच्छू का जहर दुनिया के सबसे महंगे तरलों में से एक है। इसकी कीमत सुनकर कोई भी चौंक सकता है। एक लीटर बिच्छू का ज़हर लगभग 70 से 80 करोड़ रुपये तक का बिक सकता है। इसकी इतनी अधिक कीमत इसके दुर्लभ और अत्यंत उपयोगी गुणों के कारण है।

बिच्छू का जहर कैसे निकाला जाता है

बिच्छू का ज़हर निकालने की प्रक्रिया को “मिल्किंग” कहते हैं। इस प्रक्रिया में बिच्छू को हल्का बिजली का झटका दिया जाता है जिससे वह डंक मारता है और बहुत कम मात्रा में ज़हर बाहर निकलता है।
एक बार में एक बिच्छू से सिर्फ 1 से 2 मिलीग्राम ज़हर ही निकलता है, इसलिए एक ग्राम ज़हर निकालने के लिए हजारों बिच्छुओं की जरूरत पड़ती है। इस प्रक्रिया में बहुत धैर्य और सुरक्षा की आवश्यकता होती है क्योंकि बिच्छू जहरीले होते हैं और जानलेवा हो सकते हैं।

बिच्छू का जहर इस काम आता है

बिच्छू का ज़हर चिकित्सा और विज्ञान के क्षेत्र में बहुत उपयोगी माना जाता है। इसके प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं

1. कैंसर के इलाज में
बिच्छू के ज़हर में पाए जाने वाले पेप्टाइड्स (Peptides) कुछ प्रकार के कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर उन्हें खत्म करने में सहायक होते हैं।

2. मिर्गी और मल्टीपल स्क्लेरोसिस के इलाज में
ज़हर में ऐसे यौगिक पाए जाते हैं जो न्यूरोलॉजिकल बीमारियों में राहत दिलाने का काम करते हैं।

3. दर्द निवारक दवाओं में
कुछ शोधों में बिच्छू के ज़हर को अत्यधिक प्रभावी प्राकृतिक दर्द निवारक माना गया है।

4. एंटी-वेनम बनाने में
सांप और बिच्छू के काटने पर जो एंटी-वेनम (जहर की काट) बनाई जाती है, उसमें भी इसका उपयोग होता है।

इन देशों में बिच्छू पाले जाते हैं

बिच्छू का पालन एक नया लेकिन उभरता हुआ व्यवसाय है। कई देशों में इसे व्यावसायिक रूप से पाला जा रहा है, जैसे

ईरान : यहां पर बिच्छुओं को फार्मों में पाला जाता है और उनका ज़हर चिकित्सा उद्देश्यों के लिए निकाला जाता है।

मिस्र : यहां सरकार ने कुछ कंपनियों को बिच्छू पालन की अनुमति दी है।

मोरक्को, भारत, पाकिस्तान और अल्जीरिया : कुछ जगहों पर पारंपरिक तरीके से बिच्छू पकड़कर उनसे ज़हर निकाला जाता है।

मैक्सिको और अमेरिका : रिसर्च संस्थानों में सीमित स्तर पर पालन होता है।

कम मात्रा में उपलब्धता
बिच्छू का ज़हर भले ही बेहद खतरनाक हो, लेकिन विज्ञान की नजर में यह अमूल्य है। इसकी कम मात्रा में उपलब्धता, निकालने की जटिल प्रक्रिया और चिकित्सकीय उपयोग इसे विश्व का सबसे महंगा तरल बनाते हैं। आने वाले समय में बिच्छू पालन विज्ञान और चिकित्सा क्षेत्र में एक नया क्रांति ला सकता है।

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Author: speedpostnews

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